सं.पु.
सं.मयूर, प्रा.मोर
1.प्राय--चार फुट लंबा एक अत्यन्त सुन्दर पक्षी जिसकी गर्दन लम्बी तथा छाती का रंग बहुत गहरा व चमकीला होता है। सिर पर किलंगी बनी होती है, पंखों पर चंदोवा बना हुआ होता है। (अ.मा., नां.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--सुंदर सहस फर्ण करि सांमली, दीपै मूरति दोह। मेध घटा नै देखी मोर ज्यूं हरखित मुझ मन होइ।--ध.व.ग्रं.
रू.भे.
मवर, मोरू, मौर, म्होर।
अल्पा.
मुरलौ, मुरेलौ, मोरड़ौ, मोरलियौ, मोरलौ, मोरियौ, मोरूलौ, मौरियौ, मौरीयौ, मौर्यौ।
3.रंग विशेष का घोड़ा।
- उदा.--म्रिधला चक्कवा मोर कूदणा झंपा किसोर। ऐराकी ऊन्ही अलल्ल, भाडजी, आरबी भल्ल।--गु.रू.बं.
4.देखो 'मौर' (रू.भे.)
- उदा.--1..राजा रे मोरां रौ घाव साजौ हुवौ ने बाळक मोटौ हुवौ।--रा.वं.वि.
- उदा.--2..पुचकारतौ बोल्यौ--हौ, भाई हौ। बळदां रा मोर थापल नै नीचै उतरियौ।--फुलवाड़ी
- उदा.--3..जौधा जोध जूटतां अढार दीह भागा जोर, बूंदी थांन बागा जंगी जैत रा बिधांन। जंमी मोर लागा नीसा पथ लागा त्रहूं जेठी, जोरावर चोथौ जेठी जांणियौ जिहोन।--ऊमेदसिंघ हाडा रौ गीत
- उदा.--4..तिजारौ फूल रह्यौ छैं गूंदगरी, रांमगरी, गुळवाड़ री बाड़ां लाग रही छै। पग--पग नाळा--नीझरणा बह रह्या छै। घणा ही आंबा--महुवां रा मोर झुक रह्या छै।--डाढाळा सूर री बात
6.देखो 'मोरा' (रू.भे.)
- उदा.--चंद चकोर तणी, परि, मांन्य उ तूं मन मोर रे।--स.कु.
पर्याय.--अहिभख, कळापी, कळरन्नतमंडी, कुंभ, केकी, खग, धणनादानुळ, घणमंड, नीरदनादानुळ, नीळकंठ, पनंगसंधार, भखपंनग, विखकर, प्रखत, प्रसणपनंग, बरही, रथकुमार, वरहण, विरही, व्याळखळ, सारंग, सिखी, सिखडी, सिहंड, सिखावळी, सुकळापंग, सेनानीरथ।