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म्हें, म्हे  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'म्हैं' (रू.भे.)
  • उदा.--1..आवौ घड़ी एक तो अमल पांणी करनें भेळा बैसां। पछै थांरै मारग जाजौ ने म्हें म्हारै मारग जासां।--ढो.मा.
  • उदा.--2..थे कहौ तौ डावड़ियां परणावां। डुंगर कह्‌यौ--भली वात छै। बेटियां परणावौ। म्हें हीड़ा करस्यां। तद समरसी ब्याह थापिया।--नैणसी
  • उदा.--3..डूलाया किणरा नहिं डूलां, फूलायां नहि फूलां। झूलाया थारा म्हे झूलां, झूलाया नहिं भूलां।--ऊ.का.
  • उदा.--4..ररेस कहियौ पहली मऊ रौ फरमांण आयौ जरै ही म्हे तौ जांणि लीधी अब साह रै म्हारा माथा सूं कांम पड़ियौ।--वं.भा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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