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यम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
स.यमं
1.दमन, निग्रह।
2.नियंत्रण।
3.आत्म संयम।
4.चित्त को धर्म मैं रखने वाले कर्मों का साधन।
5.योग के आठ अंगों में से प्रथम। वि.वि.--योग के आठ अंग निम्न हैं:--
(1.यम,
2.नियम,
3.आसन,
4.प्राणायाम,
5.प्रत्याहार,
6.धारणा,
7.ध्यान और 8 समाधि),
6.एक साथ उत्पन्न बच्चों का जोड़ा।
7.देखो 'जम' (रू.भे.) क्रि.वि.
1.ऐसे, इस प्रकार।
  • उदा.--सुगत वचन रणजीत यम आगम असुर समाज। मनहु जुत्थ मातंग पर, लखि गमन्यौ भ्रगराज।--ला.रा.,
  • उदा.--2..प्रथम त्रीय मत बा'र पढ, अख पद बियौ अठार। चौथै पनरह मात रच, यम गाथा उच्चार।--र.ज.प्र.
2.ज्यूं, जैसे।
  • उदा.--त्यांहां जइ तेह नि विरहि, लगाडूं प्रीतकरि यम नारि। गुण अैसी कल थांमि नहीं, राई धिक तेहनु अवतार।--नळाख्यांन


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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