वि.
सं.न्यंच, प्रा.णंच
1.अत्यल्प, अल्प, थोड़ा, किंचित, तनिक।
- उदा.--1..किल कंचन कांमनि त्याग करै, धन संच प्रपंच न रंच धरै।--ऊ.का.
- उदा.--2..बडौ कठण पण पिता कियौ, कोई रंच न कियौ बिचार। धनुख चढौ कै मत चढौ, म्हारौ रांम भंवर भरतार।--गी.रां.
- उदा.--3..पय कर मीठौ पाक, जो अमरित सींचीजिये। उर कडवाई आक रंच न मूकै राजिया।--कृपाराम बारहठ (खिड़िया)
- उदा.--4..हठ इंद्री निग्रह करै, जोग जप तप ग्यांन। हरीया सहजां सबद का, रंच न पावै ध्यांन।--अनुभववांणी
2.तुच्छ, न्यून। सं.स्त्री.--
1.पार्वती, दुर्गा देवी। (क.कु.बो.)