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रखड़ी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'राखड़ी' (रू.भे.)
  • उदा.--1..वीरा म्हारै माथा नै महमद लाज्यौ, म्हारी रखड़ी बैठ घड़ाज्यौ जी, म्हारै रिमक झिमक भाती आज्यौ।--लो.गी.,
  • उदा.--2..माथा ने मंमद बनड़ी पहरल्यौ ये हां ये बनी रखड़ी की अधिक बहार, बनडी ने भावै डहर को बाजरौ।--लो.गी.
2.देखो 'राखी' (अल्पा.रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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