HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

रजू  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'रज्जू' (रू.भे.)
  • उदा.--1..रांम रजू तौ में रजू, मैं न रजू रज रांम। हरीया जांमण अर मरण, जांह तांह हरि सूं कांम।--अनुभववांणी
  • उदा.--2..दोनुं चितोड नु चालीया। चितोड़ जाइ रजू हूवा।--चौबोली
  • उदा.--3..पीछै भींवराजजी घोड़ा 50 सूं चढ दिल्ली गया। नै पातसाह हमायूं रै लागा। तद पातसाहजी चाकरी मैं रजू किया।--द.दा.,
  • उदा.--4..पाखती भोमिया था त्यांनू मेल्हिया और मारिया सो लोग सगळा रजू हुइ गया।--ठा.जे.
2.देखो 'रज्जु' (रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची