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रज्जु  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.रस्सी, डोरी, रस्सा।
  • उदा.--रज्जु विलंबी नै कुमर, पइसै कूप मझार।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
2.बागडोर।
3.स्त्रियों के शिर की चोटी।
4.शरीरस्थ रंग विशेष।
5.एक प्रमाण विशेष (जैन) वि.वि.--जैन मतानुसार 3, 81, 27, 970, इतने मण के वजन को 'एक भार' कहते हैं। ऐसे 1000 भार का लोहे का गोला उसे कोई देवता ऊंचे स्थान से नीचे को डाले, वह गोला 6 मास, 6 दिन, 6 प्रहर और 6 घड़ी में जितना क्षेत्र पार कर, उल्लंघन कर नीचे आवे, उतने क्षेत्र में एक रज़़्जु प्रमाण जगह कहते हैं।
6.देखो 'रज' (रू.भे.)
7.देखो 'रज्जू' (रू.भे.)
रू.भे.
रजु, रजू, रज्जी। रज्जुनांमौ--देखो 'रजूनांमौ' (रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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