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रया
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
अ.रिआया
प्रजा, जनता।
उदा.--
1..गरीब
रया
रौ तौ भगवांन माथा सूं ईं विस्वास उठग्यौ हौ। चौड़ै बात करण री हीमत तौ किणी री नीं ही पण पीढियां सूं विखा रा तायोड़ा अभ्यागत मन ई मन उण कुचमादी नै ई भगवांन री ठौड़ आपरा हिवड़ा में थरप लियौ।--फुलवाड़ी
उदा.--
2..क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ। हिरणी बोली
रया
करै कांई, रखवाळा रौ पड़ग्यौ काळ।--चेत मांनखा
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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