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रसक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.फिटकड़ी।
2.देखो 'रसिक' (रू.भे.)
  • उदा.--1..रत ज्यूं दत जाचक, रसक जाचै बे कर जोड़। ननौ भंणै नव नार ज्यूं, मूढ़ क्रपण मुख मोड़।--बां.दा.
  • उदा.--2..कही आज हूं परनमैं दिन हरियाळी तीज रौ हंगांम है, जिण में राज जिसा रसक रिझवारां रौ ही कांम है।--र.हमीर,
  • उदा.--3..देव पितर इण सूं डरै रसक तरै किण रीत। हेम रजत पातर हरै, पातर करै पलीत।--बां.दा.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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