HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

रसाळ, रसाल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.रस+आलय
1.रसयुक्त, रसमय।
2.मीठा, मधुर।
  • उदा.--1..ग्वाळ बाळ रचि चारु मंडळ, बाजत बंसी रसाळ।--मीरां
  • उदा.--2..दादू रंग भर खेलूं पीव सौं, तहं बाजै वेणु रसाळ। अकल पाट पर बैठा स्वांमी, प्रेम पिलावै लाल।--दादूबांणी
  • उदा.--3..घट मांही घड़ियाळ, आठ पौहर लागी रहै। हरीया राग रसाळ, रग रग भीतर होत है।--अनुभववांणी
3.ठंडा, शीतल।
  • उदा.--मुख दीसै विकसौ कमळ, चंदन वचन रसाळ। हियडै जांण कि करतरी, धूरत चिन्ह एमाळ।--पंच दंडी री वारता
4.सुन्दर, मनोहर। मोहक।
  • उदा.--1..हंसी परी माधुरी सी चाल, अति अद्‌भुत रूप रसाल। मारग मिथ्यात उदाल।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि,
  • उदा.--2..चन्द्र-वदन म्रग-लोयणी जी, चपल लोचनी बाल। हरी लंकी म्रदु भाखणी जी, इंद्राणी सी रूप रसाल।--जयवांणी
  • उदा.--3..वाचंती अगम्म वेद नाचंती वजाड़ै वीण। राचंती सुरंग अग नाचंती रसाळ।--मा.वचनिका,
  • उदा.--4..राधा रांणी संग लिये, गोपी निकट गुवाळ। ऊपर कीजै ईश्वर, सुन्दर स्यांम रसाळ।--गजउद्धार
5.प्रिय, प्यारा।
  • उदा.--ससि--वदन म्रगलोचना रे, हरि लंकी सुविसाल। राजा मांनै अति घणी रे, जीव सूं अधिक रसाल।--जयवांणी
6.फलदायक।
  • उदा.--राखौ आगै रसण रै, राघव नांम रसाळ। मुख मांझळ आंणौ मती, गिणौ अबक ज्यूं गाळ।--बां.दा.
7.शुद्ध, स्वच्छ, निर्मल।
8.जोश पूर्ण।
  • उदा.--विसाळ भाल कंधरा, रसाळ छत्ति युत्थरे। रहैं पदग्ग रेखतै, सु देखतें अरी डरै।--ऊ.का.
9.रसिक, प्रेमी।
10.आनन्ददायक, दिलचस्प।
  • उदा.--मुझ नाचंतां भरह रसाल ए, स्युं जांणइ मूरख ताल।--हीराणंद सूरि,
1.रसमय या रसयुक्त पदार्थ।
2.आम, आम्र। (अ.मा., डिं.को.)
3.सेव आदि फल, फ्रूट।
  • उदा.--अथवा मेह खंच करे रे लाल, ऊपर पड़ जावै काल सुविचारी रे। तो देणौ मोने मोकलौ रे लाल। अटवी मांही रसाल सुविचारीरे।--जयवांणी
4.गन्ना।
5.ऋतु विशेष में होने वाला फल।
6.कटहल।
7.कंदुर तृण।
8.बोलसर नामक गन्ध द्रव्य।
9.अमलबेत।
10.हल्दी। (अ.मा.)
11.गेहूं।
12.वनस्पती विशेष। (सभा)
13.ज, स, त, य, र, ल और 7,
9.पर यति वाला एक छंद विशेष।
14.एक वर्णिक छंद विशेष जिसमें चार सगण व अंत में दो लघु होते हैं। (ल.पिं.)
  • उदा.--पाए एकणि रुप पणि, चवदह सहस चमाळ। सगण च्यारि लघु दोइ सुजि, रूपक नांम रसाळ।--ल.पिं.
15.भेंट, सौगात।
  • उदा.--1..राव लाखणसीजी नै पाछा परवानां लिखनै ओठि नै सीख दीधी। रावजी नै रसाळ मेली।--वीरमदे सोनगरा री वात,
  • उदा.--2..उठै बखतसिंह जी मेलियौ भागु राइकौ आंबा री रसाळदार रसाळ लेय आयौ।--मारवाड़ रा अमरावां री वारता
16.कर, महसूल, खिराज।
  • उदा.--1..ताहरां मांडवगढ रै पातसाह मांणस चलाया। आदमीयां सागै एक कोड़ रुपीया घातिया। 'अकल-कैबास', 'मत-कैबास' साथे दीया-वीच कोई पूछै तौ कह्या, मांडव रै पातसाह विलाइत रै पातसाह नुं रसाळ मेली छै।--रिणमल राठौड़ खाबड़ियै री बात,
रू.भे.
रसावळ।
सं.पु.--
[अ.इर्साल, इरसाल]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची