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रांड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.रण्डा, रंडा
1.वह स्त्री जिसका पति मर गया हो, विधवा स्त्री।
  • उदा.--1..हाथ झटक झिझकार हंस, नाथ न लेऊं नांमजी। भव भांड इसे भरतार सूं, रांड भली औ रांमजी।--ऊ.का.
  • उदा.--2..चल रंगरेजा में नहिं चाहूं, भल नहिं सोभा भंग। अलमित देखिर जळै अंग में, रांड कसूमल रंग।--ऊ.का.
2.वैश्या, रंडी, पतुरिया।
  • उदा.--हंसियौ जग आसक हुए, वसियौ खौवण वीत। रसियौ नागी रांड सूं, फसियौ होण फजीत।--बां.दा.
3.व्याभिचारिणी स्त्री, कुल्टा नारी।
  • उदा.--जुरती नहिं आवन जावन की, फुरती नहिं रांड फंसावन की। परवाह न पाट पटंबर की, अध चाह सुं कंबर अंबर की।--ऊ.का.
4.स्त्री के लिए एक भद्दी गाली।
  • उदा.--1..'लाव तमाखू लाव' पाव पुळ चैन न पावै। 'रांड सूयगी रांड' जुलम सब रैन जगावै।--ऊ.का.
  • उदा.--2..जद हिंसा धरमी बोल्या--दया 2 स्यूं पुकारौ छौ। दया रांड पड़ी उखरली में लोटै।--भि.द्र.,
  • उदा.--3..पेट रा जाया ई धाबळां रां गुलांम बणग्या। पछै ऐ लिछमियां क्यूं धारै। रांडां रा तन तन में कीड़ा पड़ै।--फुलवाड़ी
5.स्त्री जाति के लिए एक भद्दा सम्बोधन।
6.वह गाथा छंद जिसमें 'जगण' का अभाव हो।
  • उदा.--जगण विना सो रांड गणीजै। किसी मांझ सौ गाहा न कीजै।--र.ज.प्र.
रू.भे.
रंडनी, रंडा, रंडी, रांडो। अल्पा.रांडोली--मह.--रंड, रंडाळ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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