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रागी     (स्त्रीलिंग--रागणी, रागिणी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.रागिन्‌
1.राग से युक्त।
  • उदा.--जाग्यौ जैन चंद सागी, सोभागी रागी जैन धरम। वैरागी पुण्याई जागी अधिकै उछाह।--ध.व.ग्रं.
2.मोह--माया में फंसा हुआ।
  • उदा.--1..दुःख सुख का कारण मन जीता, सो जन है वैरागी। कहै सुखरांम सुणौ भाई साधां, और सबी है रागी।--स्री सुखरांमजी महाराज,
  • उदा.--3..सांतिनाथ सोभागी हो लाल, सोलम जिन सागी हो । 'विनयचंद्र' रागी हो लाल, जयौ तुं वड भागी हो।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
3.ईर्ष्यालु, द्वेष करने वाला।
  • उदा.--हरजीमल सेठ रागी थयौ जद रुघनाथजी से उरजोजी साधु मोटौ ओलियौ लइ वांचवा लागौ--भि.द्र.
4.अनुरक्त, आशक्त, मोहित।
5.विषय वासना में लीन, कामी।
6.प्रेमी, अनुरागी।
7.प्रेम पूर्ण, प्रीति पूर्ण।
8.लाल रंग का, लाल सुर्ख।
9.रंगा हुआ, रंजित। सं.पु.--
1.अशोक वृक्ष।
2.मंडवा या मकरा नामक कदन्न।
3.छः मात्रा का छंद।
4.आभूषणों में गोल चक्रनुमा खुदाई करने का लोहे का एक औजार।
रू.भे.
रागि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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