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राजदरबार  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.किसी राज्य या राजा की वह सभा या बैठक जिसमें राज्य के राजा सहित सभी मंत्री एवं सामंत उपस्थित होते हैं और जिसके द्वारा शासन का संचालन किया जाता है। राजा की सभा।
  • उदा.--1..लाधूरांम राजदरबार रौ इतौ वडौ निधड़क चौधरी होवतां थकां भी, भूत-पलीत, डोरा-डंडा, देई-देवता अर डाकण-स्यारी नै कदै ही कूड़ा नीं बतावै।--दसदोख,
  • उदा.--2..राजाजी फरमायौ के बीज रै चांद री खुसियां मनायां पछै वै राज-दरबार सूं पाधरा पोहरै चढ-जावै।--फुलवाड़ी
2.वह स्थान या कक्ष, जहां उक्त सभा बैठती है या जुड़ती है।
3.राजा की अदालत, कचहरी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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