सं.पु.
सं.राज+पुत्र, प्रा.राजपुत्त
1.क्षत्रिय-जाति, क्षत्रिय-वंश। वि.वि.--आर्यों की वर्ण व्यवस्था के अनुसार देश की शासन व्यवस्था क्षत्रियों को सौंपी गई थी। राज्य के शासक को राजा कहा जाता था। राजा के पुत्र एवं वंशजों को राजपुत्र कहा जाता था। राजपुत्र शब्द का प्रयोग, कोटिल्य के अर्थ शास्त्र, कालीदास के नाटक, बाण भट्ट के ग्रंथों तथा प्राचीन शिलालेखों में राजवंशियों के लिए कहा गया हैं। राजा के वंशज या राजवंशीय होने के कारण, कालान्तर में सम्पूर्ण क्षत्रिय जाति का 'राजपुत्र' पर्यायवाची सम्बोधन बन गया। अत: संस्कृत 'पुत्र', प्राकृत पुत्त' से अपभ्रंश या राजस्थानी में 'पूत' शब्द बना और मुसलमानों के शासन काल में क्षत्रियों को 'राजपूत' कहा जाने लगा। यह जाति बड़ी बहादुर और पराक्रमी रही है। जन्म भूमि की रक्षा तथा कुल गौरव की रक्षा, इस जाति का विशेष गुण रहा है।