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राजी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
अ.
1.प्रसन्न, खुश, आनन्दित।
  • उदा.--देखो आद अनाद सूं, राजी व्है श्रीरांम। संतांरां संसार में, किसड़ा सारे कांम।--भगतमाळ,
  • उदा.--2..पितारौ हुकम सुण चौगुणा पाळियौ, बजाया धरा ले खरा बाजा। हुतौ राजी तरै हेक राजा हुतौ, रीसीयौ साहतौ विनै राजा।--द.दा.,
  • उदा.--3..एह अणख छै आपणौ जी, सदा न चलस्यै रे एम। करि मुझ नइ राजी हिवैजी, जिम बाधइ बहुत प्रेम।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
2.महरवान, कृपालु।
  • उदा.--नाई पींडियां नै सुथराई सूं दबावतौ बोल्यौ--नीं बापजी, औ तौ वै'म इज म्हारै माथै मत करौ। कांनां सुणी सौ पाछी होठां निकळै ई नीं। इण वास्तै तौ राजाजी म्हारै माथै इत्ता राजी है।--फुलवाड़ी
3.अनुकूल, पक्ष में।
4.किसी कार्य को करने या बात को मानने के लिए तैयार, प्रस्तुत सहमत, सम्मत।
  • उदा.--1..म्हैं तौ उण नाकुछ काम वास्तै नटी जकौ इण मूंडै तौ पाछौ हुंकारौ नीं भरियौ। कांबड़ियां सूं मार मारनै म्हारौ डील लीलौ चम कर दियौ पण म्हैं राजी नीं व्ही।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..वौ नांनी मां रै पाखती आय रिसांणौ करतौ व्है ज्यूं बोल्यौ--म्हारै पै'ला ई उणनै टोगड़ी बताय दी। पण वा एकली देखण सारू कीकर राजी व्ही।--फुलवाड़ी
  • उदा.--3..वा तड़कनै कह्यौ--म्हनै समझावण नै आया है, पै'ला थांरा हीया माथै हाथ धरनै सोचौ के एकाएक बेटा नै दिसावर भेजण सारू थें राजी व्हिया तौ व्हिया इज कीकर।--फुलवाड़ी
5.संतुष्ट।
  • उदा.--1..सुंदरदास भलौ सांचौ सिरदार सारी बात मांही साव। सयांणौ समझणौ। मांणसां रौ बैठणहार सौ लोग सारौ जीव टेक खडौ रहै। सगळा राजी।--भाटी सुंदरदास वीकुंपुरी री वारता,
  • उदा.--2..'सोनग' धोकौ संभरै, सुण जौखो निज साथ। दाह मिटी राजी थयौ, औरंगसाह समाथ--रा.रू.
6.मस्त, मग्न।
  • उदा.--1..बाजी पर साजी चढ बैठै, व्है राजी विन होस। पड़ै सवार आप खुद पाजी, दै ताजी सिर दोस।--ऊ.का.
  • उदा.--2..मैं तो राजी भई मेरे मन में, मोहि पिया मिळे इक छिन में--मीरां
7.निरोग, स्वस्थ। सं.स्त्री [सं.]
1.पंक्ति, कतार।
  • उदा.--रचै लार गुंजार रौलंब राजी। भगांणा भंडां रोध ओलंब भाजी।--वं.भा.
2.रेखा, लकीर।
रू.भे.
राजि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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