सं.पु.
सं.राजा प्रा.राया
1.राजा, नृप, अधिपति। (डिं.नां.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--1..एक राउ थप्पइण, एक रावां ऊथप्पण। एक राव गढ़ लियण एक रावां गढ अप्पण। एक राव परिभवण, एक रावां पडि गाहण, एक राव जडगमण, एक राऊ सरणै रक्खण। इक राव रंक करि रोळबण, एकौ आलंबण थियौ, कमधज व्रजागि 'गज' केसरी, आगि खाइ इम ऊठियौ।--गु.रू.बं.
- उदा.--2..ए सारस कहिजइ पसू पंखी केरा राव। उवै बोल्या सर ऊपरइ थां कीधी अणुराव।--ढो.मा.
- उदा.--3..चाळकां लीधि चाकै चहोड़ि, ज्यां दीघ सुता कर बिहुँ जोड़ि। 'तीड़े इहं विध जुध खगां ताव, रजवट पाधौरे पंच राव।--सू.प्र.
2.स्वामी, मालिक।
- उदा.--भली करजौ रूणेचा रा राव, म्हे तो खड़ मांणसियां हां, सिरधा सूं हाथ जोड़तौ--जोड़तौ चौधरी बोल्यौ--रातवासौ
3.नांणौ गुर नांणौ इसट, नांणौ राणौ--राव। नांणा बिन प्यारौ न कौ, साहां जात सुभाव।--बां.दा.
4.राज़पूताने के कुछ राजाओं का उपटंक या पद।
- उदा.--'फरमायौ'--हूं थारी बहन छूं। तू म्हारौ भाई छै तूँ खातर जमै राखै। हूं तोनूं म्होटौ करीस।' सिवा नूं राव रौ खिताब देरायौ।--नैणसी
5.रईस, अमीर।
- उदा.--1..राजी राव रंक भूप, नारिही पुरख राजी। झूठ सों विनाई बाजी, खुखी आप खाळ मैं।--अनुभववांणी
- उदा.--2..राव रंक हिंदू रवद, गोलां सगळां गेह। सागै जात सुणांमियां, छुद्र दिखावै छेह।--बां.दा.
- उदा.--3..हरीया पाटनपुर नगर, राव रंक नहीं भूप। अलख अभंगी आप है, नारिं न पुरखा रूप।--अनुभववांणी
7.शब्द, आवाज, ध्वनि। (अ.मा., ह.नां.मा.)
8.चीख, चीत्कार।
- उदा.--एह कारणि न मइं पणि मारिउ, मारतउ अनइं राखिसी वारिउ। तूं कन्हइं रही राव करेवा, आज दीह मुझ नाह मरेवा।--सालिभद्रसूरी
12.छोटे आकार का एक पेड़ विशेष जिसकी लकड़ी की छड़ियां बनाई जाती हैं।