सं.पु.
1.चमड़ा रंगने का कार्य करने वाली एक अनुसूचित जाति या इस जाति का व्यक्ति विशेष। (मा.म.)
- उदा.--2..गंधि गयो ग्रह रेगर के गल, बंध गयौ ग्रहबंध बिगास्यै। पीनसकाय के पास कपूर, धस्यै कवि ऊमर तो हिय हास्यै।--ऊ.का.
- उदा.--2..रंगीलौ चंग बाजणू म्हारै वीरैजी मंढायौ चंग बाजणू। म्हारौ रेगर मंडक़ै लायौ अै, रंगीलौ चंग बाजणू।--लो.गी.,
1.देखो--'जटियौ' (2) ये कहीं चंग आदि मढ़ने का कार्य भी करते हैं। रू.भे.रैगर