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रेण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो रयण' (रू.भे.) (ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..नरव्वीर रेण भई भांत केणं। सुणि सेख तत्ख कहे ताम कथ्थं।
  • उदा.--2..चित वडपण सुभ चिंतवण, वजर लीक मम वैण। गाढ स्यामध्रम धरण गह, रहण 'पतौ' दिन रेण।--जैतदान बारहठ,
  • उदा.--3..अहल्या पद रेण उधरी, कियौ निरभै कीर। विभीखणकूं लंक बगसी, साथ राखण सीर।--भगतमाळ ,
  • उदा.--4..दुनियां वरदायक सेव सिहायक, रेण किसौ न्रप रांम सौ जी।--र.ज.प्र.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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