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रेल
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
भाप व डीजल तेल से लोह की पटरी पर चलने वाली गाड़ी, रेलगाड़ी।
उदा.--
नहीं तार नहिं टेम है, नहीं बत्ती में तेल। आ चालै मनरे मतै, मारवाड़ री
रेल।
--अज्ञात
2.बहाव, धारा।
3.ऐसा खेत जिसमें वर्षा के पानी का भराव होता हो और बिना सिंचाई के गेहूँ, चनों की फसल भी होती हो।
उदा.--
सीवांणा था कोस 6 उत्तर दिसी। कुँभार बसै रैबारी, रजपूत बसै। पाही खड़ै छै। ऊनाळी करै तितरी हुवै
रेल
माहे सेंवज घणा हुवै।--नैणसी
4.वर्षा के पानी का बहाव विशेष जिससे भूमि में पानी समान रूप से फैल जाता है तथा भर जाता है, जिससे उस भूमि में बिना सिंचाई के गेहूँ व चनों की फसल होती है।
उदा.--
1..जैतारण था कोस 1। आथण मांहे। जाट नै बांमण बसै। धरती हलवा 30 खेत काठा मटियाळा। ऊनांली अरट 10 ढीबड़ा 2 हुवै। पहली आगैवा वाळी
रेल
आवती। चिणा हुवै।--नैणसी
उदा.--
2..तळाव मास 4 पांणी। कोहर 1 सागरी मीठौ।
रेल
आगेवा वाळी आवै।--नैणसी
उदा.--
3..
रेल
जैतारण वाळी आथण माहै बहै। असल खालसा रौ गांव पातु गजर रौ बसायौ।--नैणसी
5.आधिक्य, भरमार।
उदा.--
कर कठ--खग कंठ, कदणरौ, खेलै बाळक खेल। भाभी भाळौ भंजसी, रण औ विधणां
रेल।
--रेंवतसिंह भाटी
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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