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लट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.लट्‌वा
1.नीचे लटकता हुआ सिर के कुछ बालों का समूह, अलक, जुल्फ।
  • उदा.--सांकड़ै मारगियै सरमाय, घूंघटै ओळूंड़ी अटकाय। गई धण सरवरिये री तीर, झुकी झट काळी लट छिटकाय।--सांझ
2.सिर के उलझे हुए बालों का गुच्छा।
3.रेंगने वाला एक लम्बा कीड़ा।
  • उदा.--टीडी रौ मुदाम जतन चिड़कोल्यां चोळौ। लटां-सूंट रैवास, घास-फूंसा रौ झोळौ।--दस देव,
1.दुर्बल काय, कृशकाय।
2.देखो 'लठ' (रू.भे.)
3.देखो 'लट्टौ' (मह., रू.भे.)(अ.मा.)
रू.भे.
लटी, लट्ट।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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