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लाट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.देश का नाम।
  • उदा.--लाट बिरद सिंधु देस सहु, केकइ अरध जांण। साढां पचवीस देस भरत में आरभ प्रधांन।--व्र.स्त.
2.गुजरात के एक भाग का नाम, जहाँ अब अहमदाबाद, भड़ौच आदि नगर हैं। [अं.लॉर्ड]
3.ब्रिटिश काल में किसी प्रान्त या देश का सर्वोच्च शासक।
  • उदा.--अलीमन सूर रौ वंस कीधौ असत, रेस टीपू विजै त्रंबट रुड़िया। लाट जनराळ जरनेल करनैल लख, जाट रै किलै जमजाळ जुड़िया।--कविराजा बांकीदास
4.बहुत सी चीजों का वह समूह या विभाग जो एक साथ रखा, बेचा या नीलाम किया जा सके।
5.समूह, झुण्ड।
  • उदा.--दस हजार जोइया दुझल, लाख लोक री लाट ज्यां जोइयां माथै जबर, 'वीरम' घाती वाट।--वी.मा.
6.लाटानुप्रास नामक अलंकार।
7.एक व्यावसायिक जाति या उसका व्यक्ति।
8.कसक।
  • उदा.--बापड़ौ बूढौ सुसरौ नवलजी देखतौ ही रैय ग्यौ। मोटी आस लेय'र खंनै आयौ हौ, जकां माथै पांणी फिरग्यौ। देख्यौ--बियां रौ जंवाई आपरौ ऊंट खेंच परा 'र बारै चाल्यौ जावै। पारबती घर में गरळाई। नवलजी रै काळजै में लाट ऊपड़ी--मेरी आज आ हालत जींवतां ही हुयगी?--दसदोख
9.लूटने की क्रिया।
  • उदा.--इतरै मांहै ए तौ मरण रूप ही ज बैठा हंता। झट पागड़ां पग दीया। इणा पागड़ै पग दीनां नैं धाड़वी कतार नूं लाट लडावै छै।--तिलोकसी वरसे भाटी री बात,
10.बड़ा सरदार। [सं.लाट;]
11.पुराना कपड़ा, जीर्ण वस्त्र। वि.--
1.शक्तिशाली, जबरदस्त।
  • उदा.--चोखौ कमायौ अर खायौ, कीं रौ ही डर-भौ नीं राख्यौ। दोजकी'र दरोगी वण्यां, दुनियां रै ईरखै अैरक्या'र तण्यां। लाट हां, बांमण-बांणिया सूं के घाट हां।--दसदोख
2.देखो 'लाठी' (मह., रू.भे.)
3.देखो 'लाठ' (रू.भे.)
क्रि.प्र.--लडाणौ


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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