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लाड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.लाड्‌=थपथपाना, थपकी देना
1.बच्चों को प्रसन्न करने हेतु किया जाने वाला स्नेह पूर्ण व्यवहार, दुलार।
  • उदा.--जीओ, धण मुढ लै पिव पालिंणै, तौ दोय जणा मतौ ए उपाइयौ जी। जी पिया, जै म्हारै जलमेगौ पूत, तौ किसड़ा लाड लडास्योजी।--लो.गी.
  • उदा.--2..राजूखां रै अेक भतीजौ आठ या दस बरसां रौ छै। मुंहडै लाड लगायोड़ौ, बडौ लाड कुमायौ।--सूरै खींवै कांधळौत री वात
2.प्यार, प्रेम।
  • उदा.--हित विण प्यारा सज्जणां, छळ करि छेतरियाह। पहिली लाड लडाइ कइ, पाछइ परहरियाह।--ढो.मा.
3.एक देश का नाम।
  • उदा.--1..कीर कास्मीर द्रविड गउड जाड लाड लांगळ जांगळ खस पारस्व, जादव नेपाल अंग वंग कलिंग...।--व.स.
  • उदा.--2..272 गाजण, 34 कनूज, 18 लक्ष बांणू मालवउ, 9 लक्ष गौड, 9 करु, 9 डाहल, 70 सहस्र गुजराति, 9 सहस्र सोरठ, 40 जेजाहुत, 24 सहस गंगपार, 21 लाड देस, 14 सहस्र व्यालकुण नमियाड।--व.स.
रू.भे.
लड्ड।
क्रि.प्र.--आणौ, करणौ, लगाणौ, लडाणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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