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लाडली  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.पत्नी, भार्या। (डिं.को.)
  • उदा.--रांणी रतनागर तणी, आंणी 'पतै' अनूप। लूणी सिरखी लाडली, भोगै 'जसवंत' भूप।--चिमलदांन रतनू
2.दुल्हिन, नव-वधू । (डिं.को.)
  • उदा.--1..अेक आरतड़ै जस देई ओ बिनायक, लाडली री भूआ भैण नै। अेक जीभड़ली जस देई औ बिनायक, लाडली री दादी माय नैं।--लो.गी.
  • उदा.--2..छठौ तौ बासौ फेरां जी बसियौ, फेरा में बैठ्‌या लाडौ लाडली। म्हारी लाडली को चीर बधज्यौ, राईबर को बागौ बींटळी।--लो.गी.
3.राधिका।
  • उदा.--पुलिण रविसुता फहरावजै पीतपट, आवजै रासथळ ब्रजनाथ आथ। कांन कवार विहरि गळी ब्रज कुंजरी, सुभरळी कीजियै लाडली साथ।--बां.दा.। स्त्री.
वि.
प्यारी, दुलारी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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