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लारां, लारा, लारि, लारियां, लारी, लारीयां  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'लारै' (रू.भे.)
  • उदा.--1..कलह बिज्जा ता दिन बह्यौ, लारां 'धूंकल' लाय। आंणि मिल्यौ 'जगतेस' सूँ, यम जुध करिय उपाय।--ला.रा.,
  • उदा.--2..हरीय मन हसती भया, जगत कूकरा लारि। हरिजन कै भांवैं नहीं, भौंक रह्या झख मारि।--अनुभववांणी
  • उदा.--3..हरिया केता वहि गया, कीया करम कै लारि। धिल धंधै धन वीच मैं, ध्यांन सधै नही धारि।--अनुभववांणी
  • उदा.--4..वाणीं लिखि गया साध बिचारौ, मुकति हुवै मन मारियां। मारण में निति ही झखमारौ, लज मारौ कुळ लारियां।--ऊ.का.
  • उदा.--5..लियां नव लाख थंड सुचारण लारियां, खड़ग ऊभारियां खळां खावै। बीदगां बिकट दुख पड़ै जिण बारियां, धावळी-धारियां तुरत धावै।--ठाकुर जुंझारसिंह मेड़तियौ,
  • उदा.--6..भोजन करणौ भूल खेलै, बूढा लारी खड़भड़ै, हेठैं हाळौ चालौ भणै, रुळा रुखाळी रड़भड़ै।--दसदेव,
  • उदा.--7..बात विसटाळु फिरिया जिकण वारीयां, भटी कह 'दांन' 'सादुळ' छक भारीयां। धणी सुपां सरण मरण संक-धारीयां, लाज मन धरै 'जेसांण' गढ़ लारीयां।--जसजी आढ़ौ,
  • उदा.--1..अम्हं विसटाळै आवियौ, लगि ज्यां हिज लारै। कंटक सुणि अंगद कहै, पित तुझ प्रकारे।--सू.प्र.
  • उदा.--2..सूकी सुदरांणीं झाड़ां रै सारै, लाधी बिदरांणीं बाड़ां रै लारै। सद व्रत करतोड़ी बरणास्रम सेवा, काढे मरतोड़ी रेवा तट केवा।--ऊ.का.
  • उदा.--
2.बाद में।
  • उदा.--पग पाछा पड़ै पूरी ललौ-चम्पौ राखै। नहीं तो लारै सूं लांबी पैरायद्यै।--दसदोख
3.मरणोपरान्त, मृत्योपरान्त।
  • उदा.--1..लारै एक लिछियै नांव रौ न्हांनौ पौतौ अर बींरी विधवा मा रै'यी।--दसदोख
4.कुछ कर लेने के बाद।
  • उदा.--लारै राख्योड़ा कामां खातर मरती विरियां रावण ही मोकळौ पिछतावौ करतौ मर्‌यौ।--दसदोख
5.बढ़ कर।
  • उदा.--सथराई अर खांमचीपणौ तौ मांसी सूं लारै हौ।--फुलवाड़ी
6.साथ में।
  • उदा.--1..बांधी मूठी बापड़ा ले जासी की लार। क्रपण नै निसदिन कहै, ओ नाहर परमार।--भोपाळदान सांदू,
  • उदा.--2..'गजन' बडौ कै गेडंबर तद मुझ हुकम दियौ सुरतांण। लसकर खच्चर दौ लारै आज अटक पर फेरू आंण।--मालौ सांदू
  • मुहावरा--लारै आंणौ=पत्नी रूप होना। लारै लागणौ=पीछे पड़ना, आश्रित होना।
रू.भे.
लरां, लारां, लारा, लारि, लारियां, लारी, लारीयां, लारोवरि, लारोवरी, लारौ, लार्‌यां, लाहरां लाहरै, लैर, लैरां, लैरियां, लैर्‌यां।
लारै--क्रि.वि.--पीछे।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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