सं.पु.
सं.
1.बोलने की क्रिया या भाव, उच्चारण।
2.मुँह से निकला हुआ सार्थक शब्द, वाणी, वाक्य।
- उदा.--1..कदाचित पांणी माहि पाखांण तरइ, कदाचित मेरु चूलिका चलइ, कदाचित् व्रहस्पति वचन तु स्कलइ कदाचित् सिलातलि ऊपरि कमल विकास लहइं।--व.स.
- उदा.--2..वैरी रा मीठा वचन, फल मीठा किंपाक। वे खाधा वे मांनियां, हुवा क्रतांत खुराक।--बां.दा.
3.कही हुई बात, उक्ति, कथन।
- उदा.--सांभलि एहवा वचन कुमांर, रागातुर हूवौ तिणवार।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
4.प्रतिज्ञा या प्रण के रूप में दृढ़तापूर्वक कही हुई बात, वादा, प्रण।
- मुहावरा--1.वचन तोड़णौ=प्रण को तोड़ देना, वादे के अनुसार न रहना।
- मुहावरा--2.वचन दैणौ=किसी के वचनों में बंध जाना, वचनबद्ध होना, वादा करना, प्रतिज्ञा करना।
- मुहावरा--3.वचन भंग करणौ= देखो 'वचन तोड़णौ'
- मुहावरा--4.वचन राखणौ=प्रतिज्ञा पूरी करना, दिये वचन निभाना, वादा पूरा करना।
- मुहावरा--5.वचन हारणौ=प्रतिज्ञा पूरी करने में असमर्थ रहना। वादा न निभाना, वचन विमुख होना।
6.उपदेश, निर्देश, मार्ग दर्शन।
- उदा.--सील संतोस दया सत भक्ती, स्वधरम ग्यांन वैरागी। सत्वगुण का पायक सब साथै, गुरु वचनां का पागी।--श्री सुखरांमजी महाराज
12.शब्दशास्त्र में शब्द के रूप में वह विधान जिसके द्वारा एकत्व या अनेकत्व का बोध होता है।
रू.भे.
बच, बचन, वचन्न, बयण, बयन, बेंण, बेण, बैंण, बैंन, बैण, बैंन, वइण, वइन, वच, वचनि, वचन्न, वच्चन, वयण, वैण।