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वर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.वर
1.सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ।
2.उत्तम, बढ़कर, श्रेष्ठ।
  • उदा.--1..लांघै विखमी चालतां होजी, वाट अनड़ वर वीर प्रबल पराक्रमी।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
  • उदा.--2..वांमा अंग वणी वर सुंदरि, कनकलता जांणै कळप्पतरि।--गु.रू.बं.
3.चुनने योग्य, योग्य, लायक।
4.दानी।
5.सुंदर।
6.भला। सं.पु.(सं.वर:)
1.पति, भरतार। (अ.मा., ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..मारू नूं आखइ सखी, एह हमारी बुझ्झ। साल्ह कुंवर सुहिणइ मिल्यउ, सुंदरि सउ वर तुझ्झ।--ढो.मा.
  • उदा.--2..बेटी इतरी मोटी हुई नै इण रै वर री खबर ही नहीं। न जांणां मुंवौ किना कठी ही जोगी संन्यासी हुय गयौ।--नैणसी
  • उदा.--3..वच्छे। सासुरा तणी इसी स्थिति जांणवी, सुसरउ उवेखइ, जेठ नीचउं देखइ, वर पुण लडइ, देवर नडइ, जेठांणी कुसइ, देअरांणी हसइ, नणंद नरनरावइ सासु कांम करावइ।--व.स.
2.वधू-प्रार्थी।
3.स्वामी, मालिक।
  • उदा.--वीर विच्चखण क्रीत तणौ वर, ढाहण खाग अरिंदां ढूको 'नाथ' तणौ 'सुरतेस' न्रभै नर, चित ठीक नहीं कुळ रीत न चूकौ।--ठाकर सूरतसिंह चहुवांण रौ गीत
4.दामाद, जमाता।
5.देवी-देवताओं से अभीष्ट वस्तु पाने के लिये की जाने वाली प्रार्थना, याचना, विनय, उपासना।
6.उक्त प्रकार से प्राप्त होने वाली संतुष्टि।
7.देवी-देवताओं से प्राप्त होने वाला आशीर्वाद, वरदान, अनुग्रह, सिद्धि।
  • उदा.--1..मारग मांहै पांणी नहीं। कटक मरण लागौ। तद जती नूं कह्‌यौ-पांणी पैदा कर। सु जती नूं खेतपाळ रौ वर हुंतौ, रोही मांहै जाइ खेत्रपाळ जी री आराधना करी।--नैणसी
  • उदा.--2..इक धारण तो जिम चित आवै। पूजै भेख जिकौ वर पावै।
8.अभिलाषा, इच्छा, कामना।
9.भेंट, पुरस्कार।
10.चुनाव या पसंद करने की क्रिया या भाव।
11.चयन, चुनाव।
12.वरण करने, अपनाने की क्रिया या भाव।
13.दहेज।
14.लंपट व्यक्ति।
15.गोरैया पक्षी। (सं.वर:)
16.केसर। (डिं.को.)
17.हल्दी।
18.दाल चीनी।
19.अदरक।
20.सुगंध तृण।
21.मौलसिरी।
22.सेंधा नमक।
23.मधुमक्खी का छाता।
24.गुग्गुल।
25.श्रीकृष्ण।
26.दो लघु के णगण के भेद का नाम। (डिं.को.)(देशज)
27.रहंट के माल की लड़ी। प्रत्य.(फा.)
1.संज्ञा शब्दों के आगे लगने वाला एक प्रत्यय। ज्यूं--ताकतवर। अव्य.--2 अगर, यदि, और।
रू.भे.
बर, वरु।

वर, वरतुल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.वर्तुल
चक्करदार, गौल। सं.पु.
1.चक्कर, गौला।
2.चक्र।
3.वातचक्र।
रू.भे.
बरतुळ, वरत्तुल। अल्पा., --वरत्तुलौ, वरतुलौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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