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वरण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.वरणं, वरण:
1.इच्छा और रुचि के अनुसार किया जाने वाला चयन।
2.कन्या के योग्य वर के चुनाव की क्रिया।
  • उदा.--सिणगारी सन्नाह सूं, विस कांमणि वरियांम। वरि आई हाला वरण, करण, महा जुध कांम।--हा.झा.
3.उक्त चुनाव के पश्चात्‌ कन्या द्वारा वर को वरमाला डालने की क्रिया, अंगीकार, विवाह, शादी।
  • उदा.--तरण रथ थिकत घण वहै खागां अतर, अडर कर कर मरै वरण अवरी। पड़ै धड़ गजाणण कहै इम पंचाणण, गजाणण कठै रिण सोझ गवरी।--पीथौ सांदू
4.आदर, सत्कार।
5.यज्ञ आदि के लिये उपयुक्त ब्राह्मण का चुनाव व उसका आदर सत्कार।
6.उक्त ब्राह्मण को दिया जाने वाला दान।
7.पूजन, अर्चना, धर्मानुष्ठान।
8.याचना।
9.ढकने या लपेटने की क्रिया भाव।
10.आवरण, आच्छादन।
11.पर्दा, चादर।
12.शहरपनाह की दीवार, प्राकार
13.खेरा।
14.पुल, सेतु।
15.आर्या गीति या स्कंधांण (स्कंधक) का भेद विशेष ।
16.गाने में स्वर विस्तार की क्रिया-इसके चार भेद, स्थायी, आरोही, अवरोही व संचारी।
17.पंवार वंश की एक शाखा। (सं.अवरण-भागुरे अलोप)
18.ऊंट। (सं.वर्णिणी)
19.स्त्री, पत्नी। (सं.वर्ण)--
20.रंगरूप।
  • उदा.--1..कंथड़ा झालि किरमाळ कैड़ौ करां। सार झड़ वरण सो सोक सैलां सरां।--हा.झा.
  • उदा.--2..भुज विसाळ लंकाळ, वरण झाळाहळ सुंदर। भरि मातै भाद्रवै, जांणि ऊगौ भासंकर।--गु.रू.बं.
21.अक्षर, स्वर।
  • उदा.--इक कहत गिरवर एह, दरसंत सब लघु देह। स्रब वरण वांण, सरीर, इम कहत दुरत अधीर।--रा.रू.
22.अकारादि शब्दों के चिन्ह या संकेत।
23.प्रार्थना, स्तुति।
24.गुण।
25.आर्य संस्कृति के अनुसार मनुष्य समाज के चार विभाग। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
26.भेद, किस्म।
27.यश, कीर्ति। (अ.मा.)
28.देखो 'वरुण' (रू.भे.) (अ.मा.)
  • उदा.--आंबेरौ 'जैसाह' सूरसागर आस्रम्मै, वरण दिसा वाग सूँ, धणी बूंदी वड ध्रम्मै। 'अभा' आदि उमराव, रांण वाळा मन रक्खै, वरण इंद्र धनवंत, इसौ 'अगजीत' निरक्खै।--रा.रू.
29.देखो 'व्रण' (रू.भे.)
30.देखो 'वरणन' (रू.भे.)
  • उदा.--कांन सुणण भागवत तणी कथ। वरणव करि अवरण वरण।--ह.नां.मा.
रू.भे.
बरण, बरन, बरन्न, ब्रण, ब्रन, व्रन्न, वंन्न, वरन, वरन्न ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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