सं.पु.
सं.
1.सर्वश्रेष्ठ वैदिक देवता जो जल का अधिष्ठाता, दस्युओं का नाशक व देवताओं का रक्षक माना गया है।
- उदा.--1..वरुण जाय दीन्हा तहां, रतन पदारथ जाय। आय अवंतिका सौ रतन, ब्राह्मण दीधा आय।--सिंघासण बत्तीसी
- उदा.--2..ता पुर में जैते बसै, सब ही वरुण समांन।--गजउद्धार
2.आठ दिक्पालों में से एक, पश्चिम दिशा का दिक्पाल ।
4.मित्र देवताओं के साथ रहने वाले बारह आदित्यों में नौवें आदित्य का नाम।
6.पानी, जल, नीर।
- उदा.--वरुण येतौ कठा सूं आंण सूं विचारै, चवै इम तरण सूं मूँह चडियौ। करण दरियाव री रीत लख केलपुर, पुरंदर भरण रौ चीत पडियौ।--महारांणा राजसिंह रौ गीत
9.सौर जगत का सब से दूर ग्रह (नेपचून)
10.एक मरुत, जो मरुतों के तीसरे गण में शामिल था।
11.एक देव गंधर्व, जो कश्यप एवं मुनि के पुत्रों में से एक था।