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वल्कल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.वल्कल:
1.वृक्ष की छाल।
2.उक्त छाल का वस्त्र जिसे ऋषि, सुनि महात्मा, अरण्यवासी पहनते थे।
3.ऋषि मुनि महात्माओं व तपस्वियों के पहनने का वस्त्र।
4.छिलका।
5.ऋग्वेद की वाष्फल नामक शाखा।
रू.भे.
बकल, बक्कल, बलकल बल्कल।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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