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वागड़  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.डूंगरपुर-बांसवाड़ा प्रदेश का एक प्राचीन नाम।
  • उदा.--1..ऐ रावळ करन रै बेटा राहप, माहप हुवा। तिण मांहै राहप राणा रा चीतोड़ धणी रावळ माहप रा वागड़ धणी । ऐ सदा चीतोड़ रा राणा री चाकरी करता। पछै सै दिल्ली रा पातसाहां सूँ पिण रजूआत राखै छै। वागड़ नूं गांव 3500 सै लागै। आधा डूंगरपुर वांसै आधा वांसवाहळा वांसै हुवा। पेहली तौ ठकुराई डूंगरपुर मुदै हुती। पछै सूं रावळ उदैसिंह गांगै रै सूधी तो वागड़ एक छत्र भोगवी।--नैणसी
  • उदा.--2..वागड़ देस विदरा गर नांम, जिहां खट दरसन ना विस्रांम। राजधांनी नुं रुडउ ठांम, देस मध्य गिरि पुर वली गांम।--जय विजय मुनि
2.वर्त्तमान शेखावाटी तथा बीकानेर-वाटी से मिले हुए प्रदेश (हिसार) का पुराना नाम।
  • उदा.--1..सोडस ज्वर लक्षण सहित, औसध क्वाथ बखांन। कह्‌या वागड़ देसाधिपति, न्रप स्री दउलतीखांन।--दुउलति विनोद सार
  • उदा.--2..वीरा वागड़ लाट करणाट।--धरम पत्र
3.एक वैश्य जाति।
  • उदा.--सोनी नइ सुतार पणि, त्रागड़ वागड़ वंस। तेली तंबोली वली, दोसी ऊपरि डंस।--मा.कां.प्र.
4.खादर का विपर्याय, एक प्रकार का भू-भाग जो अपेक्षाकृत ऊंचा व कम आबाद होता है, पठार।
  • उदा.--नित वरसौ, मेहा वागड़ में, मोठ बाजरौ वागड़ निपजै। गेहूंड़ा निपजै खादर में, नित वरसौ मेहा, वागड़ में।--लो.गी.
5.कच्छ राज के एक भू-भाग का नाम।
6.देखो 'बगड़' (रू.भे.)
  • उदा.--जोवन कारमौं रे वीहांणै उठ जासी, आदर भजन तणौ अभियास। प्रांणिया न आवै कदै प्रांमणौ, वळै न बीजै दागड़।--ओपौ आढ़ौ
रू.भे.
बागड़, बागड, बागर, बाघड़, बागर।
अल्पा.
बागड़ियौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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