HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

वाव  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.वात
1.पवन, हवा।
  • उदा.--1..चलंत धाव वेग वाव घाव पाव चंचळे। अही कपाळ नीठ धीर, पीठ कोम आकुळै।--रा.रू.
  • उदा.--2..वेगा लीयै मूंठी वाव, राज रथं पंखा राव। मैगळां ऊरध मंड, खेसै आठ भीत खंड।--गु.रू.बं.
2.अपान वायु।
  • उदा.--पिणियारियां छैला, तनक सी तांन, किरकांट्‌यां सा रंग। कागदी जवांन, वचन का कहाव ऊंट का वाव।--दुरगादत्त बाहरठ
3.पताका, ध्वजा।
  • उदा.--वाव फरुकै वेढ वळै न वापरै। पांणां चढियां किलम जिकै 'परताप' रै।--किसोरदांन बारहठ
4.देखो 'वापी' (रू.भे.)
  • उदा.--1..आदमी हजार 4000 जुहर हुवौ। सरोवर, कुवा, वाव एतलां मांहै सूं बाळक 3000 जाळ नखावै काढिया।--नैणसी
  • उदा.--2..देवी देव जाळंधरी सप्त दीपै, देवी कंदरै सख्खरै वाव कूपै।--देवि.
रू.भे.
बाव।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची