अव्यय
अ.
1.निमित्त, लिये।
- उदा.--1..ताहरां नरै कह्यौ-माजी। हूं ईयै नूं गुदरूं छूं थांहरै वास्तै छै ईयै रै घरै।--नैणसी
- उदा.--2..ताहरां फरवास बढायौ ढोल रै वास्तै। तांहरां पुकार गई। राज! फरवास वीरमजी रै लोकै वाढियौ। तोई जोईयां गई कीवी।--नैणसी
- उदा.--3..दीवांणजी कह्यौ-घोड़ौ तो फगत म्हारै वास्तै ई चाहीजै। दूजोड़ा तौ सगळा लुक्योड़ा रैवैला । कठै ई कुचमादी न्हाटग्यौ तौ म्हारै मन री मन में रै जावैला। थूं आ बात घणीं चौड़ै किण वास्तै करै।--फुलवाड़ी
2.कारण से, प्रयोजन से।
- उदा.--ताहरां गोगादेजी मगरां में परांणी घाव दीठा, तद कह्यौ औ कासूं छै। ताहरां उठै रजपूत बहुत दिलगीर हुवौ। ताहरां गोगादेजी कह्यौ-रे किसै वास्तै? ताहरां राजपूत सारी हकीकत कही।--नैणसी
- उदा.--2..कह्यौ रे तूं अठै क्यों ऐकलौ रहै छै। सहर तौ कोई नहीं। जद सूथार कही जी अठै एक वस्तु हूं छुं तैरे वास्तै रहूं छूं।--चौबोली
रू.भे.
बासते, बासतै, बास्ते, बास्तै, वासते, वासतै।