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वास्ते, वास्तै  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
अव्यय
अ.
1.निमित्त, लिये।
  • उदा.--1..ताहरां नरै कह्‌यौ-माजी। हूं ईयै नूं गुदरूं छूं थांहरै वास्तै छै ईयै रै घरै।--नैणसी
  • उदा.--2..ताहरां फरवास बढायौ ढोल रै वास्तै। तांहरां पुकार गई। राज! फरवास वीरमजी रै लोकै वाढियौ। तोई जोईयां गई कीवी।--नैणसी
  • उदा.--3..दीवांणजी कह्‌यौ-घोड़ौ तो फगत म्हारै वास्तै ई चाहीजै। दूजोड़ा तौ सगळा लुक्योड़ा रैवैला । कठै ई कुचमादी न्हाटग्यौ तौ म्हारै मन री मन में रै जावैला। थूं आ बात घणीं चौड़ै किण वास्तै करै।--फुलवाड़ी
2.कारण से, प्रयोजन से।
  • उदा.--ताहरां गोगादेजी मगरां में परांणी घाव दीठा, तद कह्‌यौ औ कासूं छै। ताहरां उठै रजपूत बहुत दिलगीर हुवौ। ताहरां गोगादेजी कह्‌यौ-रे किसै वास्तै? ताहरां राजपूत सारी हकीकत कही।--नैणसी
  • उदा.--2..कह्‌यौ रे तूं अठै क्यों ऐकलौ रहै छै। सहर तौ कोई नहीं। जद सूथार कही जी अठै एक वस्तु हूं छुं तैरे वास्तै रहूं छूं।--चौबोली
रू.भे.
बासते, बासतै, बास्ते, बास्तै, वासते, वासतै।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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