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वाड़ी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'बाड़ी' (रू.भे.)
  • उदा.--1..सखि ए साहिब आविया, मन चाहंदी मोइ। वाड़ी हुवा वधांमणा, सज्जण मिळिया सोइ।--ढो.मा.
  • उदा.--2..सत्तम प्रहरै दिवस कै, घण जु वाड़ियां जाइ । आणै द्राख--विजोदिया, घण छोलइ, प्रिउखाइ । ढो.मा ,
  • उदा.--3. वे अरथ छांह पंथी विरथ, हेत कपट हरियावळी। मौकमा कमंध मोटा मिनख, वाड़ी फूली रावळी।--अरजुणजी बारहठ
  • उदा.--4..नबाब खांनखांनौ सारा बेड़ा हुता इण रौ बीगड़ीयौ कुंही नहीं। सारां री खबरदार बीच नायक वाड़ी फिरता था। पोहोर 2 पछै सारा उमराव आया तठै दळथंभण नांम पायौ।--नैणसी


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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