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विगत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
1.अन्तिम या बीते हुए से पहले का
2.जो कहीं इधर उधर चला गया हो।
3.निष्प्रभ, कांतिहीन।
4.रहित, विहीन। सं.स्त्री.--
1.विवरण, व्यौरा, वृत्तान्त, हाल।
  • उदा.--1..आया दूत खुस्याळी आई, साह मरण ची विगत सुणाई। तातां घोड़ां हुई तयारी, अधपति सुणत कीध असवारी।--रा.रू.
  • उदा.--2..कहियौ न्रप प्रज भय किणसूं, ज्वाळांमुखी न पूजै जिणसूं। भांणउदीप विगत सुण भारी, विधवत सकति पूजि विसतारी।
  • उदा.--3..चिंतातुरां दुचिंत विगत सुध दाखौ वातां। पुण इंद करग जोड़ै पभण, कहर कळह किसणां कियां।--मा.वचनिका
  • उदा.--4..तै देखी, तिणि पूछियउ, कुण ए राजकुमारि। किह पीहर, कि सासरउ, विगतइ कहइ विचारि।--ढो.मा.
2.हिसाब।
3.इतिहास।
4.परिचय, जानकारी।
  • उदा.--सव सरीखी देखी रूपि, विगत न लही तेहनी भूपि। तै देखी चतुरपणउं ए इस्यं, राजा हियडा भीतरि हस्यं।--हीराणंद सूरि
5.सूची, नामावली।
  • उदा.--संवत्‌ 1613 हाजीखांन सूं राजाजी रै अदावदी हुई जद राव मालदेजी आपरा उमराव हाजीखां री मदद मेलिया ज्यांरी विगत-राठौड़ देवीदास जैतावत, रावळ मेहराज हाफावत....।--बां.दा.ख्यात
6.वर्णनसूची, तफसील।
7.घटना।
8.संख्या, गिनती। (सं.वि.=विशेष+गति=मोक्ष)
9.विशेष मुक्ति या मोक्ष। (सं.वि.=रहित+गति=मोक्ष)
10.वह प्राणी जिसकी मरणोपरान्त विगति या मुक्ति नहीं हुई हो।
रू.भे.
बिगत, विगति, विगती, विगत्त, विगत्ति, विगत्ती, विगय, विगिति।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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