सं.पु.
सं.विटप:
1.वृक्ष, पेड़। (अ.मा., नां.मा.)
- उदा.--सिल विकट फरस सुखेण रै, तिरसूल ग्वायख तेण रै। भिंडपाल गजगव विटप भड़, धिख गदा वभीखण उवरधर।--र.रू.
2.पेड़ या लता की शाखा।
- उदा.--विस्णु रूप अवतार परगट पोहमी में आए, सतजुग विछरै जीव उनकूँ आंन चिताए। विस्णु धरम परगट कियौ आंन धरम विटप विहंडनं, संभरथळ परगट सही जोत रूप जग मंडनं।--कोल्हजी चारण
3.अण्डकोष का मध्यस्थ पर्दा।