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विढ, विढक, विढण, विढणि
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
देखो 'वेढ' (रू.भे.)
उदा.--
1..छिळ बहत धक धक अछक छक, अंतराळ गरळक ढुळ इधक। फीफरडक नद फरक, हुय
विढक
हक हक, वीरहक।--र.रू.
उदा.--
2..थर थक्का बलवार
विढण
क्यूं वीसरै, लग्ग लोह लकीर नमंता नीसरै। वाव फरूकै वेढ वळै नह वापरै, पांणां चढियां किलम जिकै 'परताप' रै।--किसोरदांन बाहरठ
उदा.--
3..असपति राव चमकि ओद्रकियौ, खेड़ैचै वाही करि खीज सुकरि आकास हूंति सेलारां, वीजुल
विढण
क वुही वीज।--केसोदास गाडण
उदा.--
4..इम कहि
विढण
दीध न्रप आयस, दळ हालिया वाग पदमणि दिस। रोस चढै विढिया रखवाळा, अठ छ हजार तेजमिण वाळा।
उदा.--
5..वडौ सूर सुदतार रायसिंघ विसरांमियां,
विढण
कुण कंवारी घड़ा वरसी। कूँजरां तणी मौहताद करसी कवण, कवण कोड़ां तणी मौज करसी।--दुरसौ आढ़ौ
उदा.--
6..आलम तइ आयाह विग्रह हुवइ कीधइ
विढणि
। अचळेसर गढ अवछड़ै जिव लै मोकळि ज़ाह।--अ.वचनिका
उदा.--
7..बूर पड़ि जंवूर विहुं घड़, भुरज बीछड़ि पड़ै खड़भड़।
विढण
धरि अड़ सुहड़ समवड़, वड़वडै पिंड चार।--रा.रू.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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