HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

विद्युत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.विद्युत
1.बिजली।
  • उदा.--1..वारद विद्युत वरण, पीत अरु धरण नीलपट। तरह महदन रत तणी, देख दिल दरप जाय दट।--र.रू.
  • उदा.--2..आसन स्यंघ घटा तन स्यांम, पटंबर पीत सु विद्युत है। चाप सिलीमुख पांन विमोह सु, बांम विभाग सिया जुत है।--र.ज.प्र.
2.एक प्रकार की वीणा।
3.वज्र।
4.सहिष्णु नामक शिवावतार का एक शिष्य।
5.यातुधान नामक राक्षस का पुत्र व रसन नामक राक्षस का पिता एक राक्षस।
6.एक छंद विशेष, जिसमें दो नगण, दो तगण व अन्त में एक गुरु होता है तथा सात व छ: वर्णों पर यति होती है। वि.वि.--इसको चंद्रिका, उत्पलिनी व कुटिलगति भी कहते हैं। वि.--जिसमें बहुत अधिक दीप्ति हो।
रू.भे.
विदत, विदुत, विदुति, विद्युता, विद्योत, विद्योता, विद्वति, विधुत।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची