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विद्रोह  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.वह कार्य जो शत्रु को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है।
  • उदा.--बसू प्रचंड दंडतैं प्रचंड दंडतैं वहैं, वितंड चंड दंड दैं अदंड छंडतै वहै। बिमोह मोह मोह में विद्रोह द्रोहि पैं बढै, क्रतांत भांत कोह मैं कुकोह कोहि कौ कढैं।--ऊ.का.
2.वह आचरण या व्यवहार, जो राज्य या शासन के प्रति अविश्वास या दुर्भाव उत्पन्न होने पर उसकी आज्ञा, विधान आदि के विरुद्ध किया जाता है।
3.क्रांति करने हेतु किया जाने वाला उपद्रव।
रू.भे.
विदरोह।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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