सं.पु.
सं.
1.वह कार्य जो शत्रु को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है।
- उदा.--बसू प्रचंड दंडतैं प्रचंड दंडतैं वहैं, वितंड चंड दंड दैं अदंड छंडतै वहै। बिमोह मोह मोह में विद्रोह द्रोहि पैं बढै, क्रतांत भांत कोह मैं कुकोह कोहि कौ कढैं।--ऊ.का.
2.वह आचरण या व्यवहार, जो राज्य या शासन के प्रति अविश्वास या दुर्भाव उत्पन्न होने पर उसकी आज्ञा, विधान आदि के विरुद्ध किया जाता है।
3.क्रांति करने हेतु किया जाने वाला उपद्रव।