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विधवा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
वह स्त्री, जिसके पति का स्वर्गवास हो गया हो, पतिहीना स्त्री।
  • उदा.--1..वांरी अेक विधवा भूवा अणूंती धनवंती ही। वै उण माथै ठगाई रौ पासौ फेंकणी चायौ। अेक भाई मोकौ देखनै छांनै भूवा रै पाखती गियौ। भूवा री हाजरी में अेक पग रै पांण ऊभौ रै'तौ।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..उण विधवा बांमणी री गळाई कळजुग रौ धरम निभायां ई आपांरौ जमारौ सुधरैला अर सतजुग रै मरियोड़ा ढोर री पूंछ झालियां धन अर बेटा दोनां सूं हाथ धोणा पड़ैला।--फुलवाड़ी
  • उदा.--3..सयळा मिनख अर बस्ती रौ तूमार जोयां पछै ई म्हैं फगत धन माथै आस गडाय राखी ही। बेटी! विधवा रौ सासरौ, पीवर, माईत अर भगवानं फगत धन इज है।--फुलवाड़ी
  • उदा.--4..बापड़ी भोळी-डाळी किन्यावां नै कुड़कै में नांख'र वेगीसी विधवा वणा देवै। सुवाग री नीं रंडापै री चंवरी चाढै।--दसदोख
रू.भे.
बधवा, बिदवा, बिधवा।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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