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विपत, विपता, विपति, विपती, विपत्त, विपत्ता, विपत्ति, विपत्ती  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.विपत्ति:
1.आपत्ति, संकट। (डिं.को.)
  • उदा.--1..सगा सनेही ओर नर, सुख में मिळै अनेक। विपत पड़्‌यां दुख वांटलै, सो लाखन में अेक।--अज्ञात
  • उदा.--2..आगळ सुरग कपाट अध, दोजग अगुऔ देख। संपत लता कुठार सम, विपत लता घण वेख।--बां.दा.
  • उदा.--3..दूधां न्हासी, पुतरां फळसी, विपता वढसी, सुखड़ै रळसी। थांरी काळी जीभ नै थोड़ी चांकौ, मूँढै सू सगा थोड़ौ थूक नाखौ। भळै इसौ नांवौ कदै ही मूंढै सूं मती काढ्‌या। म्हांनै कीं ही ना देया। बींन रै बाप कैयौ।--दसदोख
  • उदा.--4..नदी पार संपजै, पोत द्रढ खेवट पायां। विपति विलै हुय जाय, जेम धर सपत आयां।--रा.रू.
  • उदा.--5..दिसा दिसांन मांन तोप मांननीय की दगै, अडोळ चक्र नक्र मक्र आंननीय व्है अगै। विपत्थ पत्थ पत्थ से विपत्ति कौ बहावनी, खिजै समत्थ मत्थ पें समत्थ अत्थ खावनी।--ऊ.का.
  • उदा.--6..प्रहलाद की प्रतिग्या राखी, हिरणाकुस नख उदर विदारण। रिखि पत्नी पर किरपा कीन्हीं, विप्र सुदांमा की विपत्ति विदारण।--मीरां
  • उदा.--7..पदम पराग कदम रज पावन, पाग धरत छत्रपती। प्रापत होत भोत सुख संपति, व्यापत नांहि विपत्ती।--मे.म.
  • मुहावरा--1.विपत्ति अणी=आपत्ति आना, संकट आना।
  • मुहावरा--2.विपत्ति उठाणी: संकट या दु:ख सहना।
  • मुहावरा--3.विपत्ति काटणी=संकट मिटाना, संकट में समय व्यतीत करना।
  • मुहावरा--4.विपत्ति झेलणी=देखो 'विपत्ति उठाणी'।
  • मुहावरा--5.विपत्ति टळणी=संकट या आपत्ति टलना।
  • मुहावरा--6.विपत्ति ढाणी=देखो 'विपत्ति आणी'।
  • मुहावरा--7.विपत्ति पड़णी=देखो 'विपति आणी'।
  • मुहावरा--8.विपत्ति मोल लेणी='आपत्ति मोल लेना।
  • मुहावरा--9.विपत्ति सिर माथे लेणी= देखो विपत्ति मोल लेणी।
2.कष्ट, पीड़ा।
  • मुहावरा--1.विपत्ति भुगतणी=कष्ट और पीड़ा सहन करना।
  • मुहावरा--2.विपत्ति सहणी=कष्ट और पीड़ा सहन करना।
  • मुहावरा--3.विपत्ति होणी=कष्ट व पीड़ा होना।
3.झंझट, बखेड़ा।
  • उदा.--जाव खंड संख्याता किया ए, पिण अग्नि देखाला ना दिया ए। कहै फाटौफिटौ होय ए, आ किसी विपत सूंपी मोय ए।--जयवांणी
  • मुहावरा--1.विपत्ति झेलणी=देखो 'विपत्ति मोल लेणी'।
  • मुहावरा--2.विपत्ति मोल लेणी=व्यर्थ में झंझट या आफत मोल लेना।
  • मुहावरा--3.विपत्ति सिर माथे लेणी=देखो 'विपत्ति मोल लेणी'।
4.आपत्ति की अवस्था, बुरे दिन।
  • उदा.--1..लोक चुगळ कांनै लगै, धू धू बोल्यौ गेह। भायां सूं भेळप नहीं, विपत लिखी त्यांव वेह।--बां.दा.
  • उदा.--2..मिनखमौत आवै है, जकी घड़ी ऊमर भर री आछीमाड़ी लारली सारी वातां काच दाई साफ होय जाया करै है। दुख अर विपती में भी। आपरै भला-बुरा कांमा री ठा पड़ै बिना नीं रैवै।--दसदोख
  • मुहावरा--1.विपत्ति आणी=बुरे दिन आना।
  • मुहावरा--2.विपत्ति काटणी=बुरे दिन काटना या बिताना।
  • मुहावरा--3.विपत्ति टळणी=बुरे दिन खत्म होना।
  • मुहावरा--4.विपत्ति भुगतणी या भोगणी=देखो 'विपत्ती काटणी'।
5.मृत्यु, मौत।
  • उदा.--सबळा खळ सूं सांधियां, निबळ जाय खळ नास। मूंसौ मेळ मंजार कर, वचियौ विपत विलास।--बां.दा.
  • मुहावरा--1.विपत्ति आणी=मौत आना।
  • मुहावरा--2.विपत्ति टळणी=मौत से बचना, मौत टलना।
6.थकान से उत्पन्न पीड़ा, थकान।
  • उदा.--जाळ खेजड़ा झाड़खा झट, खनै बुला स्वागत करै। मरु दातार देव वनां विच, छांय सुला विपता हरै।--दसदेव
रू.भे.
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नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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