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विबुद्ध, विबुध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.विबुद्ध:
1.जाग्रत, सचेत।
2.ज्ञानप्राप्त, जानकार।
3.चतुर, होशियार। सं.पु.(सं.विबुध:)
1.चन्द्रमा, चांद।
2.देवता।
  • उदा.--तिथ चतुरदसी सनवार तव, रयण पहर वीतां अरध। 'अगजीत' ग्रेह जनम्यौ 'अभौ', बाण वेद हरखै विबुध।--रा.रू.
3.विद्वान पुरुष, बुद्धिमान जन, पंडित।
  • उदा.--पूरण ग्यांन दसा मन आंणी, वेधक वांणी वखांणीजी। विबुध भणी अवबोध समांणी, मूरख मति मूझांणीजी।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
4.कृति राजा का मतान्तर से देवमीढ राजा का, विसृत मतान्तर से विश्रुत नामक पुत्र, एक राजा।
5.शिव, महादेव।
रू.भे.
बिबुध, विवध, विवधा, विवह, विवुध, विवुह।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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