सं.पु.
सं.
1.चमक, तेज, प्रकाश, दीप्ति।
2.सवेरे के समय गाया जाने वाला एक राग विशेष (संगीत)
- उदा.--1..छतीस राग छाजती, निहाव धाव नोबती। भजे विभास भैरवी, रळी कळी कळी रवं।--रा.रू.
- उदा.--2..दोय घड़ी रात लारली रहै सो ब्रह्म मुहूरत। इण वेळा विभास वेळावळ में लाखों-फूलांणी गवीज़ै-प्रह लाखौ सु विहांण।--बां.दा.ख्यात
- उदा.--3..रात तौ इण रंग मैं विदित हुई। इतरै परभात हुवौ। भैरू विभास। विलावलि को वखत आयौ। गुणीजनां राग झिलायौ।--पनां