सं.पु.
सं.विवाह
1.हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से वह संस्कार जिसमें वर तथा कन्या पति-पत्नी का धर्म स्वीकार करते हैं। वि.वि.--ये विवाह निम्न आठ प्रकार के माने गये हैं--
1.ब्राह्म विवाह--वह विवाह, जिसमें शीलवान और वेदाभ्यासी वर को बुलाकर कपड़े व अलंकारों से वर-वधू का पूजन कर कन्या का विवाह किया जाता है।
2.दैव विवाह--वह विवाह जिसमें ज्योतिष्टोमादि यज्ञ में ऋत्विज (यज्ञ का कार्य करने वाले) को विधिपूर्वक अलंकारादि से सत्कार कर कन्या का दान किया जाता है।
3.आर्ष विवाह--वह विवाह जिसमें कन्या का पिता वर से गाय व सांड का एक या दो जोड़े अपनी लड़की को देने हेतु धार्मिक भाव से (लड़की के मूल्य के रूप में नहीं) लेकर कन्या का दान करता था।
4.प्राजापत्य विवाह--वह विवाह जिसमें कन्या का पिता पहले से ही संकल्प कर लेता है कि अमुक वर के साथ अपनी पुत्री का विवाह करूंगा तथा कन्यादान करते समय वर-वधू का पूजन कर अपने मुंह से कहता है कि तुम दोनों साथ रहकर धर्माचरण करो।
5.आसुर विवाह--वह विवाह जिसमें वर की ओर से कन्या व कन्या के पिता को धन देकर स्वच्छन्दतापूर्वक कन्या को ग्रहण किया जाता है।
6.गन्धर्व विवाह--वह विवाह जिसमें वर व कन्या कामासक्त हो कर स्वेच्छा से (माता-पिता के बिना दान किये) एक दूसरे के साथ संयोग कर लेते हैं।
7.राक्षस विवाह--बलपूर्वक कन्या का हरण करके किये गये विवाह को राक्षस विवाह कहते हैं।
8.पैशाच या पैशाच्य विवाह--वह विवाह जिसमें एकान्त स्थान व समय पाकर बेखबर, नींद में या नशे में बेहोश कन्या के साथ संभोग कर लिया जाता है। इसे अधम विवाह मानते हैं। राजस्थान में विशेषत: राजपूतों व चारणों में एक विशेष प्रकार का विवाह किया जाता है। जिसमें वर को कन्या पक्ष वाले धोखे से पकड़ कर ले जाते हैं, और घर ले जाकर विवाह कर देते हैं।
2.उक्त संस्कार के अवसर पर मनाया जाने वाला उत्सव।
3.वह उत्सव जिसमें पुरुष व स्त्री वैवाहिक बन्धन में बंधते हैं।
- उदा.--1..जद स्वांमीजी बोल्या--किण ही सहर में च्यार बजाज री हाटां हुती। तिण में तीन तौ विवाह गया। पाछै कपड़ादिक नां ग्राहक घणां आया। हिवै एक बजाज रहियौ तै राजी हुवै कै बेराजी।--भि.द्र.
- उदा.--2..हेमजी स्वांमी दीखा लेवा त्यार थया जद किण ही ग्रहस्थ स्वांमीजी नै कह्यौ--महाराज हेमजी दीक्षा लेवा तयार थया पिण तमाखू रौ व्यसन है। जद स्वांमीजी बोल्या-काचरियां रौ अटक्यौ किसौ विवाह रहे है।--सू.प्र.
3.उक्त उत्सव के अवसर पर किया जाने वाला धार्मिक कृत्य।
5.बीसवें कल्प में उत्पन्न ब्रह्मा का रक्त नामक पुत्र।
रू.भे.
विबाह, बिमां, बिमाह, बिया, बियाव, बियाह, बिवाह, बींया, बीबाह, बीमा, बीमाह, बीयाव, ब्यांव, ब्याव, ब्याह, भियाव, भ्याव, विमांह, विमाह, विमाहौ, वियाव, विहां, विहा, विहाव, वीमां, वीमांह, वीमाह, वीवा, वीवाह, वीहा, वीहाव, व्यांह, व्याव।
अल्पा.
विवहालु, विवहालौ, विवाहलु, विवाहलौ, विवाहिलु, विवाहिलौ, व्यावड़ौ।