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विवेक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.भले-बुरे या सत्‌-असत्‌ का ज्ञान।
2.भले-बुरे या गुण -अवगुण को पहिचानने की शक्ति।
  • उदा.--जै भंगी री भीटी तौ न खादी नै भंगी री कीधी खाधी तिण सूं उणनै विवेक रौ विकल जांणै। ज्यूं ग्रहस्थ कमाड़ खोलनै देवै ते तौ लेवे नहीं अनै अंधारी रात्रि में हाथ सूं कमाड़ जड़ै उघाड़ै तिण रौ संक आंणै नहीं।--भि.द्र.
3.समझ, ज्ञान, बुद्धि।
  • उदा.--1..भव सह हरै निजर भर, कर कर गहर विवेक। सर 'प्रताप' नर तौ समौ, अवर आज नह एक।--जैतदांन बारहठ
  • उदा.--2..लूटेहि लेत विवेक का डेरा, बुद्धिवळ यदपि करूं बहुतेरा। हाय रांम नहिं कछु बस मेरा, मरत हूं विवस प्रभु धावड़ सवेरा।--मीरां
  • उदा.--3..धर चौड़ै सरवर विपन, विंधाचळ दिस एक। च्यार महूरत उत्तरै, धारस मंत्र विवेक।--रा.रू.
  • उदा.--4..आठूं ई मिसल कै कमंध महाबाह, जाकी सुण मांनी वांनी विखै की सलाह। चाळै में अग्रकारी अनेक सा एक, रांम दळां मेळ जांणै नील कौ विवेक।--रा.रू.
4.सत्यज्ञान। क्रि.प्र.--करणौ, धरणौ, धारणौ, राखणौ, होणौ।
रू.भे.
बबेक, बमेक, बवेक, बिबेक, बिमेक, बिवेक, वमेक, विमेक, विमेख।
अल्पा.
विवेकौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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