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विस्वासी
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.विश्वासी
1.जिसका विश्वास किया जा सके, विश्वास करने योग्य।
उदा.--
1..दीखणा में तौ अेकलौ दीसूंला, पण अैकलौ व्हूंला कोनी। म्हारी मरजी रा खास
विस्वासी
असवारां नै पांच-पांच, सात-सात री टोळियां बणाय नाकै रै नाकै ठौड़-ठौड़ लुकाय नै बैठांण दूंला।--फुलवाड़ी
उदा.--
2..जद स्वांमी जी खिमाकर
विस्वासी
आहार अवेरनै बोल्या--आ थारै संका है तौ चरचा करांला। इम कही उण बेला इज तावड़ै मैं विहार कीधौ।--भि.द्र.
उदा.--
3..मतीरौं री रुत में मतीरौं रा ऊठ रा ऊंठ नाखीजता।
विस्वासी
आदमी बां रै टाक्यां लगाय'र कई में मोहर अर कई में रुपिया घाल'र पाछोई मूंडौ बंद कर देंवता।--संत सेठ स्रीरांमरतन डागा री वात
2.विश्वास करने वाला।
रू.भे.
बिसवासी, विसवासी।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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