सं.स्त्री.
सं.
1.पत्नी, स्त्री।
5.बहिन, भगिनि।
- उदा.--उठै नीं, अै चारण वीरा, सूती छै सुखड़ा री नींद, थारी तौ गायां मैं अै, खीची घोड़ा फेरिया। ज्यां तौ गायां कै, अै चारण, तूं खेती गूगळ-धूप, ज्यां तौ गायां कै अै खीची मारै कोरड़ा।--लो.गी.
7.बड़ों या वृद्ध पुरुषों व स्त्रियों द्वारा पुकारा जाने वाला किसी कुलवधू या युवा स्त्री के लिए सम्बोधन सूचक शब्द।
8.स्त्रियों द्वारा वृद्धों के अतिरिक्त अन्यों को पुकारने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला संबोधनसूचक शब्द।
- उदा.--1..कै इत्ता मैं मोड़ा रै बारै घोड़ा री हींस सुणीजी। कमसल बात करतां ई आयग्यौ। सेठांणी आडौ खोल बोली-वीरा, थारी ऊमर तौ लाँठी।--फुलवाड़ी
- उदा.--2..सासरा री मगरी ढ़ळतां ईं उणनै मड़ौ सांम्ही धकियौ। सुगन तौ भला व्हिया। वेल सूं हेटै उतर वा मुड़दा नै हाथ जोड़िया अेक खांधिया नै होळै सी'क पूछ्यौ-वीरा, कुण चलियौ।--फुलवाड़ी
9.शंयुपुत्र भरद्वाज नामक अग्नि की पत्नी और वीर की माता।
10.वीर्यचंद्र राजा की कन्या एवं करधम की पत्नी जो अविक्षित राजा की माता थी। वि.वि.--इसने अपने पौत्र मरुत्त के द्वारा सर्पसत्र प्रारंभ करवाया था जिसे अविक्षित की पत्नी वेशालिनी ने अपने पति के द्वारा बन्द करवाया था।