सं.पु.
सं.व्यभिचार:, व्यभीचार
1.दूषित आचरण, बदचलनी।
2.रति क्रीड़ा, संभोग, भोग।
- उदा.--मि विरयु वीरसेन सुत आदि, हंस तणै वचनै उह्लादि। देव तह्मौ पित नि ठारि, पुत्री साथि सु व्यभचार।--नळाख्यांन
3.सती न होने की स्थिति या भाव, असतीत्व।
4.स्त्री का पर-पुरुष से व पुरुष का पर-स्त्री से अनुचित सम्बन्ध।
- उदा.--दादू मरणा खूब है, निपट पूरा व्यभिचार। दादू पति को छोड कर, आंन भजै भरतार।--दादूबांणी
5.कामपिपांसा को अनुचित रूप से शान्त करने की क्रिया या भाव।
रू.भे.
बिभचार, बीभचार, विभचार, वीभचार।