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व्यवहार  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.आचरण, चाल-चलन। (डिं.को.)
2.पेशा, धन्धा।
3.ब्याज-बट्टे या लेन-देन का धन्धा।
4.व्यापार, व्यवसाय।
5.रीति, रस्म, रिवाज।
6.सम्बन्ध, रिश्ता।
7.मुकदमा या मुकदमा की जांच-पड़ताल करने वाला।
8.अधिकार, हक।
  • उदा.--कहिवौ उवरस्ये जिकुं ज़ांणां छां निरधार। पिण इण अवसर नारी नै, कहिवा नौ व्यवहार।--जयवांणी
9.शास्त्रोक्त-विधि, नियम।
10.वर्ताव, आचार, सलूक।
  • उदा.--जे किणी घरगोड़िया राजपूत रै सागै उणरौ ब्याव व्हियौ व्हैतौ तौ नीं वा इत्ता दिन मंसा परवांण लापतै रै' पाती अर नीं इण भांत लापतै रह्‌यां पछै पाछी गांव मैं पग धर सकती। सासरिया कै खुद पीवरिया नाक कांन वाढ नैं चिगदियौ कर न्हांकता। मूंडा मैं आवै ज्यूं जणौ जणौ अरळ-विरळ गाळियां काढतौ। माजनौ गमतौ। पण बाप तौ दिखावटी अैड़ौ व्यवहार कर्‌यौ जांणै कीं अजोगती बात नहीं व्ही।--फुलवाड़ी
11.भेद, अन्तर, फर्क।
  • उदा.--सरगुण निरगुण परख कै, इनके लखै व्यवहार। अगम निगम अनुभव लखै, कर कर हंस विचार।--स्रीहरिरांमजी महाराज
12.छ: सूत्रों में से एक सूत्र का नाम। (जैन)
  • उदा.--व्यवहार सूत्र छै सुविचार, दयास्रुत स्कंध सत अट्टार। पंचकल्प तै पंचम छेद, सवा इग्यारसैं सैसंख्या वेद।--ध.व.ग्रं.
रू.भे.
बवहार, बवार, बिबहार, बिवहार, बिवार, बुहार, बेबार, बेवार, बौवार, बौहार, ब्यवहर, ब्यवहार, ब्योहार, ब्यौहार, ववहार, वावार, विवहार, विवहारु, विवार, विव्हार, विहिवार, वुहार, वेबार, वेवार, वैयार, वैवहार, वैवार, वैहार, वोबार, वोवार, वौवार, वौहवार, वौहार, वौहोवार, व्यवार, व्यहवार, व्योहार।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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