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व्याकुळ, व्याकुल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
व्याकुल
1.घबराया हुआ, बेचैन, दु:खी।
  • उदा.--1..वरमाळा लै कंठि वणावै, पलक खुली तदि त्रिया न पावै। उण दुख हूंत जीव व्याकुळ अति, पड़ै न जक सोचै नित भूपति।
  • उदा.--2..मनुष्य जु गरमी करि व्याकुळ हुवै छै। अर रूंखां की छाह वांछैं छै। सु यै वात रौ न्याउ छै। इसी गरमी हुई छै। जु सूर्‌य पणि हेमाचळ कौ सरणौ पकड़ै छै। अर सूरज ही व्रखि आया छै।--वेलि.टी.
2.उदास, खिन्नचित्त।
  • उदा.--आप बिना गोपिन सब ब्रज की, ब्याकुळ भई निराट। मीरां के प्रभु दरसण दीज्यौ, करज्यौ आनंद ठाट।--मीरां
3.भयभीत, डरा हुआ, विह्वल।
  • उदा.--व्याकुळ तातैं भई तनु देही, सिर पर जमा का घेरा। मीरां कै प्रभु गिरधरनागर, तापत तन बहुतेरा।--मीरां
4.क्षौभयुक्त।
  • उदा.--पांच पचीसौं बस कियै, मेरा पला न पकड़ै कोय। मीरां व्याकुळ विरहणी रे, कोई आंन मिळावै मोय।--मीरां
5.उदास, चंचलता रहित।
  • उदा.--आवै सवेग आकळा, वदन्न नैण व्याकुळा। पवंग छाड पाधरा, असस्स रोम ऊधरा।--मा.वचनिका
6.उत्कंठित, उत्सुक। सं.पु.--समुद्र, सागर। (ना.डिं.को.)
रू.भे.
ब्याकुळ, ब्याकुळी, वकळ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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