सं.पु.
सं.
1.वेदों का संग्रह, विभाग या सम्पादन द्वारा पुन रचना करने वाले एक महर्षि, जो पाराशर ऋषि व धीवर कन्या सत्यवती (मत्स्यागन्धा) के संसर्ग से उत्पन्न हुए थे।
- उदा.--1..सावतरी सांमि रा करै वाखांण किताई, रुखमांगद इंबिरीक साध नारद सवाई। पारासुर पैहळाद सेस गंगेव महेसुर, अरिजण नै अकरूर व्यास रिखि बारहट ईसर।--पी.ग्रं.
- उदा.--2..सहज कळा जागी सबै, तन मन वचनां सास। जनहरिया इंदर कथा, वेद न जांणै व्यास।--अनुभववांणी
- उदा.--3..देवी वालमिक व्यास रूपै तुं क्रत्तं, देवी रांमायण पुरांणौ भागवत्तं। देवी काबा रै रूप तूं पाथ लूंटै, देवी पाथ रै रूप भाराथ जूटै।--देवि.
1.स्वयंभू, मनु, उशना, वृहस्पति, सविता, मृत्यु, इन्द्र, वशिष्ठ, सारस्वत, त्रिधामा, ऋषभ, सुतेजा, अन्तरिक्ष, सुचक्षु, त्र्ययारुणि, धनञ्जय, कृतञ्जय, ऋतुञ्जय, भरद्वाज, गौतम, हर्यात्मन, वाचश्रवा, तृणबिन्दु, ऋक्ष, शक्ति, पराशर, जातूवर्ण और कृष्णद्वैपायन।
2.ब्राह्मण जो कथावाचक व ज्योतिषी होते हैं।
- उदा.--1..बियैं 'गजन' फिर बूझिया, 'अजन' वडा उमराव। प्रोहित व्यासां बारठां, पूछै रीत प्रभाव।--रा.रू.
- उदा.--2..व्यापारी सहू वांणिआ, जोसी वैद्यक व्यास। मांगण पणि मिलिया बहू, सहूनी पूगइ आस।--मा.कां.प्र.
3.गोल वृत्त में से एक सिरे से दूसरे सिरे तक सीधी निकल जाने वाली रेखा। (रेखा गणित)
रू.भे.
बियास, बीयास, ब्यास, विआस, वियास, व्यासि, व्यासी।
विशेष विवरण:-इन्होंने पुराण, भागवत, महाभारत व वेदांतसूत्र आदि की रचना की थी। ये नदी के बीच टापू पर उत्पन्न होने के कारण द्वैपायन व रंग काला होने के कारण कृष्ण कहलाये। इनका जन्म सत्यवती की कौमारावस्था में वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। इनकी माता सत्यवती का विवाह भीष्म पितामह के पिता महाराज शान्तनु से हुआ था। जिससे उसे विचित्र वीर्य व चित्रांगद नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। इन दोनों पुत्रों की मृत्यु निःसन्तान होने के कारण वंश की स्थापना के लिए इन्हें सत्यवती ने नियोग की आज्ञा दी। अत: दोनों की पत्नियों अम्बिका व अम्बालिका से नियोग कर क्रमश: धृतराष्ट्र व पाण्डु को जन्म दिया एवं अम्बिका की दासी से विदुर को जन्म दिया। इन्होंने संजय को दिव्यदृष्टि दी थी। विभिन्न मन्वन्तर में जन्म लेकर वेदों के विभाग, संग्रह व सम्पादन करने वाले अट्ठाईस महर्षियों में इनका अंतिम नाम है। सभी अट्ठाईस महर्षियों को व्यास कहते हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं--